आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

रविवार, अक्तूबर 27, 2013

'अपूर्वा' के बर्थ-डे पर एक नए ब्लॉग की शुरुआत ...http://apurva-2010.blogspot.in/

लीजिये, अब तो हमारी सिस्टर अपूर्वा का भी ब्लॉग बन गया और वो भी इनके जन्मदिन पर उपहारस्वरूप।देखिये, ममा-पापा ने क्या लिखा है इनके ब्लॉग (http://apurva-2010.blogspot.in/) पर-


यह ब्लॉग हमारी छोटी बिटिया अपूर्वा : Apurva के लिए उसके तीसरे जन्म-दिन पर एक खूबसूरत उपहार है। जब घर में मम्मी-पापा, बहन से लेकर दादा-चाचा तक ब्लागिंग में सक्रिय हों तो अपूर्वा भला पीछे क्यों रहें। 27 अक्टूबर, 2013 को अपूर्वा अपना तीसरा जन्म-दिन सेलिब्रेट कर रही हैं और भला इनका ब्लॉग आरंभ करने का इससे अच्छा समय और उपहार क्या हो सकता है। तो मिलिए इस प्यारी सी गुड़िया अपूर्वा से, जिसका जन्म 27 अक्टूबर, 2010 बाबा भोलेनाथ की नगरी बनारस में हुआ। फ़िलहाल इलाहाबाद में प्ले ग्रुप की स्टूडेंट। इनके मम्मी-पापा का नाम है - आकांक्षा - कृष्ण कुमार यादव। अपूर्वा को अच्छा लगता है - ड्राइंग बनाना, प्लेयिंग, डांसिंग, नई-नई जगहें घूमना, आइसक्रीम व चाकलेट खाना और ढेर सारी शरारतें करना। इन सब बातों को आप सबसे शेयर करने के लिए ही तो अपूर्वा के मम्मी-पापा (आकांक्षा यादव - कृष्ण कुमार यादव) ने 27 अक्टूबर, 2013 को यह ब्लॉग बनाया-'अपूर्वा : Apurva'. वैसे इनकी दीदी अक्षिता (पाखी) का भी एक ब्लॉग है - "पाखी की दुनिया". अपूर्वा के बारे में आप वहाँ भी पढ़ सकते हैं। इस ब्लॉग पर आप पाएंगे अपूर्वा से जुड़ी ढेर सारी बातें, घूमना-फिरना, इनकी ड्राइंग और क्रिएटिविटी, फेमिली और स्कूल की बातें और भी बहुत कुछ. अभी तो यह बहुत छोटी हैं, इसलिए ममा-पापा के माध्यम से ही इनकी भावनाएं यहाँ व्यक्त होंगीं.आप सब लोग अपना आशीर्वाद और स्नेह इन्हें देते रहें, ताकि नन्ही-परी की तरह यूँ ही अपूर्वा उन्मुक्त उडान भरती रहें...!!


अपूर्वा को जन्मदिन पर दीदी की तरफ से ढेर सारी बधाइयाँ और प्यार। 

अब तो अपूर्वा की गतिविधियाँ उनके ब्लॉग पर भी दिखेंगीं। तो आप भी अपूर्वा के ब्लॉग की सैर करिए और अपूर्वा को आप भी अपना आशीर्वाद और प्यार देना न भूलिएगा !!

शुक्रवार, अक्तूबर 18, 2013

गुब्बारे वाले की कहानी

मैंने इक कहानी पढ़ी और मुझे अच्छी लगी, सो आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ-

एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था. वह गाँव के आस-पास लगने वाली हाटों में जाता और गुब्बारे बेचता . बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …लाल, पीले ,हरे, नीले, बैंगनी, काला । और जब कभी उसे लगता कि  बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते।

एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था. पास ही खड़ी  एक बच्ची ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रही था . इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंची  और मासूमियत से बोली, ” अगर आप ये काला वाला गुब्बारा छोड़ेंगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”

गुब्बारा वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ बिलकुल जाएगा बिटिया  ! गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इस पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है।.”

कितनी अच्छी बात कही गुब्बारे वाले  ने। ठीक इसी तरह यह बात हमारे जीवन पर भी लागू  होती है। कोई अपने जीवन  में क्या हासिल करेगा, ये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है। अंतत: हमारा attitude (रवैया) हमारा altitude (ऊँचाई) तय  करता है। 

....तो कैसी लगी यह कहानी आप सबको। पसंद आई न और कित्ती अच्छी बात कही गई है इस कहानी के माध्यम से ...!!

रविवार, अक्तूबर 13, 2013

दशहरे का मेला, रामलीला और दुर्गापूजा


आज दशहरा है। सबसे पहले तो आप सभी लोगों को इस पर्व पर ढेर सारी बधाइयाँ और हाँ, अपना आशीष और प्यार देना न भूलिएगा।

दशहरे में सबसे महत्वपूर्ण होता है - मेला, राम लीला और दुर्गा  पूजा। हमने तो मेले और दुर्गा पूजा को इंजॉय किया। इलाहाबाद में सिविल लाइंस का मेला देखा और ढेर सारी  दुर्गा मां की प्रतिमाएं भी देखीं। राम लीला हमने आज तक नहीं देखी, सोचती हूँ अगली बार जरुर देखूंगी। जब हम कानपुर में थे तो वहां रावण-दहन खूब देखते थे, पर इलाहाबाद में तो रावण-दहन नहीं दिखा। यहाँ मेले के दिन सजी-धजी चौकियाँ खूब निकलती हैं, उन्हें हमने जरुर देखा।

वैसे अब तो मेले का बहुत मतलब नहीं रहा, हर चीज हर दिन उपलब्ध है। पर फिर भी हम ढेर सारे  बैलून, ट्वायज़ लाए। और हाँ, धनुष, बाण, गदा और तलवार लेकर भी आए। इसी बहाने घर में ही राम लीला आरंभ कर दी।

आप सभी को दशहरा पर्व पर ढेर सारी  शुभकामनायें और बधाइयाँ !!

शुक्रवार, अक्तूबर 04, 2013

'सादर इंडिया' के बाल साहित्य विशेषांक में अक्षिता की रचनाएँ


'सादर इंडिया' ( मासिक, सितम्बर 2013, गुडगाँव से प्रकाशित)  के बाल साहित्य विशेषांक में अक्षिता की तीन रचनाएँ पढ़ सकते हैं।

बुधवार, अक्तूबर 02, 2013

मिल्क पाउडर ही पी जाएँ


दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ। 

दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है 
जब उससे करूँ शिकायत 
रोये, महँगाई की मार है।

दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।