आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

मंगलवार, दिसंबर 31, 2013

नव वर्ष -2014 का स्वागत …



ढलता जायेगा सूरज 


बढ़ती जायेगी समय की सुई 


रात के आगोश में 
सो जायेगा पुराना साल 


चमचमाती लाइटों के बीच 
होगा नए साल का धमाल 


कड़कड़ाती ठण्ड के बीच 
रजाइयों में दुबके हम 


अहा!
स्वागत करो सूरज की  किरणों का 
आ गया है एक और नया साल .... !! 



नव वर्ष -2014 पर आप सभी को ढेर सारी बधाईयाँ। 
आप सब अपना आशीर्वाद और स्नेह देना न भूलियेगा।

HAPPY NEW YEAR -2014







रविवार, दिसंबर 29, 2013

गुलाबों की रंगत

गुलाब के फूल  भला किसे नहीं भाते। ठण्ड के मौसम में तो गुलाब के फूलों की  रंगत देखते ही बनती है।  हमारे लॉन में तो इन दिनों ढेर सारे गुलाब के फूल  खिले हुए हैं। इनकी खुशबू तो हमेँ बहुत अच्छी लगती है।  कुछेक गुलाब के फोटोग्राफ हमने भी लिए। आप भी देखकर बताइये, कैसी रही हमारी फोटोग्राफी और ये गुलाब !!


(गुलाब के फूलों के समक्ष अपूर्वा)



मंगलवार, दिसंबर 17, 2013

मैंने भी इक मोर बनाया.....

आपको मोर अच्छा लगता है. मुझे तो  बहुत अच्छा लगता है. यहाँ इलाहाबाद में कंपनी बाग़ में खूब सारे मोर दिखते हैं..... भिन्न-भिन्न रूपों में इन्हें देखना मन को खूब भाता है. कभी ये एक ही जगह पर खड़े नजर आते हैं तो कभी भागते हुए तो कभी किसी पेड़ के ऊपर. मैंने भी एक मोर की ड्राइंग बनाई है. आशा है आपको पसंद आएगा …… !!











मंगलवार, दिसंबर 10, 2013

11-12-13 को जब बजेंगे 14 :15 :16


वाह, कितना खास दिन है 11-12-13. 
यह तब और भी रोचक हो जायेगा, 
जब इस दिन समय होगा 14 :15 :16. 
सोचती हूँ कि इस दिन को कैसे यादगार बनाऊँ !!

गुरुवार, नवंबर 28, 2013

ग्रेट डे : हैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी टू ममा-पापा


मेरे ममा-पापा सबसे प्यारे.
लगते देखो कितने न्यारे.


ममा-पापा की शादी (28 नवम्बर, 2004) की नौंवीं सालगिरह पर मेरी और अपूर्वा की तरफ से ढेर सारा प्यार और बधाई ! 


कहीं आप बधाई देना भूल न जाइएगा.मैं तो चली अपनी पार्टी का इंतजाम करने...!!






रविवार, नवंबर 24, 2013

बीच समुद्र में शिप

जब मैं अंडमान में थी तो खूब सारे शिप देखती थी। उस दौरान कई बार शिप देखने भी गई। कभी नेवी शिप तो कभी कोस्टगार्ड शिप। उन्हें अंदर से देखना बहुत अच्छा लगता था। वहाँ छोटे-छोटे शिप भी खूब चलते हैं जो एक आइलैंड से दूसरे आइलैंड तक लोगों को लेकर जाते हैं। मैंने भी कई बार इनकी यात्रायें की। बीच समुद्र से चारों  तरफ देखना बहुत अच्छा लगता था। बस चारों तरफ साफ और नीला पानी।


मैंने भी एक शिप बनाया है। जरुर बताइयेगा कि यह आपको कैसा लगा ??


शनिवार, नवंबर 02, 2013

दीपावली पर्व पर शुभकामनाएँ


दीपावली का इंतजार तो मुझे कई दिनों से रहता है। इस दिन मुझे ढेर सारे दीये जलना बहुत अच्छा लगता है। फिर उन्हें घर के हर कोने में और बहार सजाकर लगाना कित्ता सुन्दर लगता है। ऐसे लगता है जैसे धरती पर ढेर सारे तारे चमक रहे हों। और हाँ, गणेश-लक्ष्मी जी की  पूजा करके उन्हें भोग चढ़ाना और फिर ढेर सारी मिठाइयां और चॉकलेट्स खाने का तो आनंद ही कुछ और है।

एक बात और ..मुझे ढेर सारे पटाखे जलाने का बिलकुल मन नहीं करता है। एक तो इससे प्रदूषण फैलता है और इससे कित्ता शोर-शराबा होता है। यह हमारे हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है।

दीपावली पर मैंने एक ड्राइंग भी बनाई है। इसे आप भी देख सकते हैं।

दीपावली पर्व पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ। आप सबके प्यार और आशीर्वाद का भी इंतज़ार रहेगा !

रविवार, अक्तूबर 27, 2013

'अपूर्वा' के बर्थ-डे पर एक नए ब्लॉग की शुरुआत ...http://apurva-2010.blogspot.in/

लीजिये, अब तो हमारी सिस्टर अपूर्वा का भी ब्लॉग बन गया और वो भी इनके जन्मदिन पर उपहारस्वरूप।देखिये, ममा-पापा ने क्या लिखा है इनके ब्लॉग (http://apurva-2010.blogspot.in/) पर-


यह ब्लॉग हमारी छोटी बिटिया अपूर्वा : Apurva के लिए उसके तीसरे जन्म-दिन पर एक खूबसूरत उपहार है। जब घर में मम्मी-पापा, बहन से लेकर दादा-चाचा तक ब्लागिंग में सक्रिय हों तो अपूर्वा भला पीछे क्यों रहें। 27 अक्टूबर, 2013 को अपूर्वा अपना तीसरा जन्म-दिन सेलिब्रेट कर रही हैं और भला इनका ब्लॉग आरंभ करने का इससे अच्छा समय और उपहार क्या हो सकता है। तो मिलिए इस प्यारी सी गुड़िया अपूर्वा से, जिसका जन्म 27 अक्टूबर, 2010 बाबा भोलेनाथ की नगरी बनारस में हुआ। फ़िलहाल इलाहाबाद में प्ले ग्रुप की स्टूडेंट। इनके मम्मी-पापा का नाम है - आकांक्षा - कृष्ण कुमार यादव। अपूर्वा को अच्छा लगता है - ड्राइंग बनाना, प्लेयिंग, डांसिंग, नई-नई जगहें घूमना, आइसक्रीम व चाकलेट खाना और ढेर सारी शरारतें करना। इन सब बातों को आप सबसे शेयर करने के लिए ही तो अपूर्वा के मम्मी-पापा (आकांक्षा यादव - कृष्ण कुमार यादव) ने 27 अक्टूबर, 2013 को यह ब्लॉग बनाया-'अपूर्वा : Apurva'. वैसे इनकी दीदी अक्षिता (पाखी) का भी एक ब्लॉग है - "पाखी की दुनिया". अपूर्वा के बारे में आप वहाँ भी पढ़ सकते हैं। इस ब्लॉग पर आप पाएंगे अपूर्वा से जुड़ी ढेर सारी बातें, घूमना-फिरना, इनकी ड्राइंग और क्रिएटिविटी, फेमिली और स्कूल की बातें और भी बहुत कुछ. अभी तो यह बहुत छोटी हैं, इसलिए ममा-पापा के माध्यम से ही इनकी भावनाएं यहाँ व्यक्त होंगीं.आप सब लोग अपना आशीर्वाद और स्नेह इन्हें देते रहें, ताकि नन्ही-परी की तरह यूँ ही अपूर्वा उन्मुक्त उडान भरती रहें...!!


अपूर्वा को जन्मदिन पर दीदी की तरफ से ढेर सारी बधाइयाँ और प्यार। 

अब तो अपूर्वा की गतिविधियाँ उनके ब्लॉग पर भी दिखेंगीं। तो आप भी अपूर्वा के ब्लॉग की सैर करिए और अपूर्वा को आप भी अपना आशीर्वाद और प्यार देना न भूलिएगा !!

शुक्रवार, अक्तूबर 18, 2013

गुब्बारे वाले की कहानी

मैंने इक कहानी पढ़ी और मुझे अच्छी लगी, सो आप सभी के साथ शेयर कर रही हूँ-

एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था. वह गाँव के आस-पास लगने वाली हाटों में जाता और गुब्बारे बेचता . बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारे रखता …लाल, पीले ,हरे, नीले, बैंगनी, काला । और जब कभी उसे लगता कि  बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता, जिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते।

एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था. पास ही खड़ी  एक बच्ची ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रही था . इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंची  और मासूमियत से बोली, ” अगर आप ये काला वाला गुब्बारा छोड़ेंगे…तो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”

गुब्बारा वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ बिलकुल जाएगा बिटिया  ! गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इस पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है।.”

कितनी अच्छी बात कही गुब्बारे वाले  ने। ठीक इसी तरह यह बात हमारे जीवन पर भी लागू  होती है। कोई अपने जीवन  में क्या हासिल करेगा, ये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि उसके अन्दर क्या है। अंतत: हमारा attitude (रवैया) हमारा altitude (ऊँचाई) तय  करता है। 

....तो कैसी लगी यह कहानी आप सबको। पसंद आई न और कित्ती अच्छी बात कही गई है इस कहानी के माध्यम से ...!!

रविवार, अक्तूबर 13, 2013

दशहरे का मेला, रामलीला और दुर्गापूजा


आज दशहरा है। सबसे पहले तो आप सभी लोगों को इस पर्व पर ढेर सारी बधाइयाँ और हाँ, अपना आशीष और प्यार देना न भूलिएगा।

दशहरे में सबसे महत्वपूर्ण होता है - मेला, राम लीला और दुर्गा  पूजा। हमने तो मेले और दुर्गा पूजा को इंजॉय किया। इलाहाबाद में सिविल लाइंस का मेला देखा और ढेर सारी  दुर्गा मां की प्रतिमाएं भी देखीं। राम लीला हमने आज तक नहीं देखी, सोचती हूँ अगली बार जरुर देखूंगी। जब हम कानपुर में थे तो वहां रावण-दहन खूब देखते थे, पर इलाहाबाद में तो रावण-दहन नहीं दिखा। यहाँ मेले के दिन सजी-धजी चौकियाँ खूब निकलती हैं, उन्हें हमने जरुर देखा।

वैसे अब तो मेले का बहुत मतलब नहीं रहा, हर चीज हर दिन उपलब्ध है। पर फिर भी हम ढेर सारे  बैलून, ट्वायज़ लाए। और हाँ, धनुष, बाण, गदा और तलवार लेकर भी आए। इसी बहाने घर में ही राम लीला आरंभ कर दी।

आप सभी को दशहरा पर्व पर ढेर सारी  शुभकामनायें और बधाइयाँ !!

शुक्रवार, अक्तूबर 04, 2013

'सादर इंडिया' के बाल साहित्य विशेषांक में अक्षिता की रचनाएँ


'सादर इंडिया' ( मासिक, सितम्बर 2013, गुडगाँव से प्रकाशित)  के बाल साहित्य विशेषांक में अक्षिता की तीन रचनाएँ पढ़ सकते हैं।

बुधवार, अक्तूबर 02, 2013

मिल्क पाउडर ही पी जाएँ


दूध पीना मुझे भाता
पर बड़ी परेशान हूँ
किससे मैं शिकायत करूँ
होती बड़ी हैरान हूँ। 

दूध वाला ना अच्छा दूध दे
बस पानी की भरमार है 
जब उससे करूँ शिकायत 
रोये, महँगाई की मार है।

दूध में पानी या पानी में दूध
कुछ भी समझ ना आये
इससे अच्छा तो अब
मिल्क पाउडर ही पी जाएँ।

सोमवार, सितंबर 30, 2013

दुनिया भर में छाई 'पाखी की दुनिया'

प्रतिष्ठित दैनिक 'अमर उजाला' द्वारा युवाओं के लिए प्रकाशित साप्ताहिक "अमर उजाला युवान" (28 सितम्बर, 2013) में मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' के बारे में प्रथम पेज पर ही एक आलेख प्रकाशित है। इसे दुनिया भर में छाई 'पाखी की दुनिया' शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इसे आप भी यहाँ देख-पढ़ सकते हैं- 


Akshita (Pakhi) : पाखी की दुनिया को आप फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं :

रविवार, सितंबर 29, 2013

'जनसंदेश टाइम्स' में चहकी अक्षिता की 'नन्ही गौरैया'

इधर कई पत्र-पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ और ड्राइंग प्रकाशित हुई हैं।  'जनसंदेश टाइम्स' अख़बार (28 सितम्बर, 2013) के बाल बाड़ी पेज (सा रे ग म, पृष्ठ संख्या-9) पर मेरी (अक्षिता (पाखी) की) एक बाल -कविता 'नन्ही गौरैया' प्रकाशित हुई हैं। इसे आप भी पढ़ सकते हैं।



पर सबसे अच्छी बात तो यह रही कि इसी पेज पर ममा का भी एक आलेख 'इस होनहार बेटी को सलाम' शीर्षक से प्रकाशित हुआ है , जो  कि  उनके ब्लॉग 'शब्द-शिखर' से लिया गया है। 

शनिवार, सितंबर 28, 2013

पकड़ी जाती मेरी शैतानी


छुई-मुई सी मैं गुडिया 
सोच रही नई शैतानी 
पर हमेशा पकड़ी जाती
होती फिर मुझको हैरानी।

मम्मी-पापा की लाडली
करती हूँ अपनी मनमानी
मम्मी बोले बस भी करो
बंद करो अपनी शैतानी।

(चित्र : अपूर्वा)

शुक्रवार, सितंबर 27, 2013

काठमांडू-भ्रमण की यादें ...

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल (13-15 सितम्बर) के दौरान 14 सितम्बर को हमने वहाँ के प्रमुख स्थानों का दर्शन भी किया। इनमें पशुपतिनाथ मंदिर, स्वयंभू नाथ स्तूप, श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान, पाटन कृष्ण मंदिर, पाटन  दरबार स्कवायर ....सहित तमाम प्रमुख स्थल शामिल थे। आप भी देखिए कुछेक यादगार तस्वीरें। 

श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान

                                        श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान मंदिर परिसर में सपरिवार।

CRAFTIES NEPAL के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव और अपूर्वा।


CRAFTIES NEPAL के समक्ष ममा और मैं (अक्षिता)

नेपाल में 14 सितम्बर को बाल-दिवस मनाया जाता है। उस दिन बच्चों द्वारा निकाला गया एक शो।
पाटन  दरबार स्कवायर में सपरिवार।
पाटन  दरबार स्कवायर में सपरिवार।

पाटन दरबार स्कवायर स्थित पाटन कृष्ण मंदिर के समक्ष।
पाटन दरबार स्कवायर के समक्ष लगे शिला पट्ट के सामने खड़े पापा और अपूर्वा।

 स्वयंभू नाथ स्तूप के समक्ष। 

रविवार, सितंबर 22, 2013

बेटियों के प्रति नजरिया बदलने की जरुरत (डाटर्स-डे पर विशेष)

आज डाटर्स डे है, यानि बेटियों का दिन. यह सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है अर्थात इस साल यह 22  सितम्बर को मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि चाईल्‍ड राइट्स एंड यू (क्राई) और यूनिसेफ ने वर्ष 2007 के सितंबर माह के चौथे रविवार यानी 23 सितंबर, 2007 को प्रथम बार 'डाटर्स-डे' मनाया था, तभी से इसे हर वर्ष मनाया जा रहा है. 

इस पर एक व्यापक बहस हो सकती है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस दिन का महत्त्व क्या है, पर जिस तरह से अपने देश में लिंगानुपात कम है या भ्रूण हत्या जैसी बातें अभी भी सुनकर मन सिहर जाता है, उस परिप्रेक्ष्य में जरुर इस दिन का प्रतीकात्मक महत्त्व हो सकता है. दुर्भाग्यवश हर ऐसे दिन को हम ग्रीटिंग्स-कार्ड, गिफ्ट और पार्टियों से जोड़कर देखते हैं. कार्पोरेट कंपनियों ने ऐसे दिनों का व्यवसायीकरण कर दिया है. बच्चे उनके माया-जाल में उलझते जा रहे हैं. डाटर्स डे की महत्ता तभी होगी, जब हम यह सुनिश्चित कर सकें कि-

१- बेटियों को इस धरा पर आने से पूर्व ही गर्भ में नहीं मारा जाना चाहिए। 

२- बेटियों के जन्म पर भी उतनी ही खुशियाँ होंनी चाहिए, जितनी बेटों के जन्म पर।

३- बेटियों को घर में समान परिवेश, शिक्षा व व्यव्हार मिलना चाहिए. (ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी दोयम व्यवहार होता है)।

४- यह कहना कि बेटियां पराया धन होती हैं, उचित नहीं प्रतीत होता. आज के दौर में तो बेटे भी भी शादियों के बाद अपना अलग घर बसा लेते हैं।

५- बेटियों को दहेज़ के लिए प्रताड़ित करने या जिन्दा जलाने जैसी रोगी मानसिकता से समाज बाहर निकले।

६- बेटियां नुमाइश की चीज नहीं बल्कि घर-परिवार और जीवन के साथ-साथ राष्ट्र को संवारने वाली व्यक्तित्व हैं।

७-पिता की मृत्यु के बात पुत्र को ही अग्नि देने का अधिकार है, जैसी मान्यताएं बदलनी चाहियें. इधर कई लड़कियों ने आगे बढ़कर इस मान्यता के विपरीत शमशान तक जाकर सारे कार्य बखूबी किये हैं।

८-वंश पुत्रों से ही चलता है. ऐसी मान्यताओं का अब कोई आधार नहीं. लड़कियां अब माता-पिता की सम्पति में हक़दार हो चुकी हैं, फिर माता-पिता का उन पर हक़ क्यों नहीं. आखिरकार बेटियां भी तो आगे बढ़कर माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं.

....यह एक लम्बी सूची हो सकती है, जरुरत है इस विषय पर हम गंभीरता से सोचें की क्या बेटियों के बिना परिवार-समाज-देश का भविष्य है. बेटियों को मात्र बातों में दुर्गा-लक्ष्मी नहीं बनायें, बल्कि वास्तविकता के धरातल पर खड़े होकर उन्हें भी एक स्वतंत्र व्यक्तित्व का दर्ज़ा दें. बात-बात पर बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ समाज और राष्ट्र दोनों के लिए घातक है. बेटियों को स्पेस दें, नहीं तो ये बेटियां अपना हक़ लेना भी जानती हैं. आज जीवन के हर क्षेत्र में बेटियों ने सफलता के परचम फैलाये हैं, पर देश के अधिकतर भागों में अभी भी उनके प्रति व्यवहार समान नहीं है. समाज में वो माहौल बनाना चाहिए जहाँ हर कोई नि: संकोच कह सके- अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ !!


अपूर्वा के फर्स्ट एक्जाम्स

मेरे  हाफ-ईअरली एक्जाम्स 19  सितम्बर  को ख़त्म हो गए।  दो दिन की हाली डे और फिर से क्लासेज आरंभ।

अपूर्वा तो पहली बार स्कूल्स  एक्जाम दे रही है। फ़िलहाल ये प्ले-ग्रुप में हैं और 30 सितम्बर को इनके एक्जाम्स ख़त्म होंगें।

अपूर्वा तो अपने क्लास में काफी अच्छा परफार्म कर रही हैं। अपूर्वा अक्टूबर में 3 साल की हो जाएंगी।





फ़िलहाल दो दिन की हालिडेज हमने खूब इंजॉय की। सटरडे को 'फटा पोस्टर निकला हीरो' तो आज संडे को 'लंच बाक्स' देखी ....अब कल से फिर से पढाई पर ध्यान ...!!

मंगलवार, सितंबर 17, 2013

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल में नन्ही ब्लागर का प्रतिनिधित्व

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर  सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल (13-15 सितम्बर) में जहाँ बड़े लोगों ने भागीदारी की, वहीँ बाल-ब्लागर के रूप में सिर्फ हमने  भागीदारी की। पूरे कांफ्रेंस में हम सबसे छोटे थे और हमसे छोटी थीं अपूर्वा। हमने भी सबकी बातें सुनीं, घूमे-फिरे और इंजॉय किया। आप भी देखिये - 


नन्ही ब्लागर अक्षिता (पाखी) को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित करते  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर  सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी के सुपुत्र।



बड़ों के साथ -साथ नन्ही ब्लागर का प्रतिनिधित्व।


ग्रुप फोटोग्राफ : तृतीय अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन, काठमांडू


अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन, काठमांडू (13 सितम्बर, 2013 ) में पापा कृष्ण कुमार यादव जी को ''परिकल्पना साहित्य सम्मान'' से विभूषित करते नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी । साथ में परिकल्पना के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी।


 अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन, काठमांडू (13 सितम्बर, 2013 ) में ममा आकांक्षा यादव जी को ''परिकल्पना ब्लॉग विभूषण'' से सम्मानित  करते नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी। साथ में परिलक्षित हैं- पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी , अक्षिता व अपूर्वा, परिकल्पना के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी  और वरिष्ठ नेपाली साहित्यकार कुमुद अधिकारी अंकल जी।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी और पापा के साथ।


फुर्सत के पल :  अक्षिता (पाखी) के साथ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी।


नेपाली शिक्षा परिषद् का वह हाल जहाँ कार्यक्रम हुआ, के सामने अंकित पिलर। साथ में पापा और अपूर्वा।

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